Johar live desk: वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर SC में एक महत्वपूर्ण सुनवाई हुई, जिसमें केंद्र सरकार को अंतरिम राहत मिल गई। SC ने फिलहाल वक्फ कानून पर स्टे लगाने से इनकार कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने मामले की सुनवाई की।
SC के अंतरिम आदेश के अनुसार, वक्फ संपत्ति की स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा और अगले आदेश तक वक्फ में कोई नई नियुक्ति नहीं होगी। केंद्र सरकार को 7 दिनों के भीतर अपना जवाब दाखिल करना होगा। इसके अलावा, अगली सुनवाई में केवल 5 रिट याचिकाकर्ता ही न्यायालय में उपस्थित होंगे।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आश्वासन दिया कि अगली सुनवाई तक संशोधित कानून के तहत कोई नियुक्ति या बोर्ड नहीं गठित किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि वक्फ बाय यूजर में बदलाव नहीं किया जाएगा। सात दिनों में सरकार जवाब दाखिल करेगी। जवाब तक वक्फ संपत्ति की स्थिति नहीं बदलेगी। अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनी रहेगी।
सरकार ने फिलहाल कोई नियुक्ति नहीं करेगी। ना कोई नया बोर्ड बनेगा, ना काउंसिल बनेगी। एसजी तुषार मेहता ने आश्वासन दिया है कि अगली सुनवाई तक संशोधित कानून के तहत कोई नियुक्ति या बोर्ड नहीं गठित किया जाएगा। सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि सुनवाई के दौरान एसजी तुषार मेहता ने कहा कि प्रतिवादी सरकार 7 दिनों के भीतर एक संक्षिप्त जवाब दाखिल करना चाहते हैं और आश्वासन दिया कि अगली तारीख तक 2025 अधिनियम के तहत बोर्ड और परिषदों में कोई नियुक्ति नहीं होगी।
उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि अधिसूचना या राजपत्रित द्वारा पहले से घोषित उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ सहित वक्फ की स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। जवाब 7 दिनों के भीतर दाखिल किया जाना चाहिए। उस पर प्रतिउत्तर अगले 5 दिनों के भीतर दाखिल किया जाना चाहिए। सीजेआई ने कहा कि अगली सुनवाई से केवल 5 रिट याचिकाकर्ता ही न्यायालय में उपस्थित होंगे। हम यहां केवल 5 ही चाहते हैं। आप 5 का चयन करें। अन्य को या तो आवेदन के रूप में माना जाएगा या निपटाया जाएगा। अब इसे कहा जाएगा- इन री: वक्फ संशोधन अधिनियम मामला।
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के खिलाफ 70 से ज्यादा याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं। इन याचिकाओं में कहा गया है कि यह अधिनियम मुस्लिम समुदाय को अनुचित लाभ देता है और वक्फ बोर्ड को अत्यधिक शक्ति प्रदान करता है। कुछ याचिकाकर्ताओं ने अदालत से आग्रह किया है कि वक्फ अधिनियम की धाराओं को गैर-मुस्लिम नागरिकों पर लागू न किया जाए और वक्फ के तहत दर्ज सार्वजनिक भूमि को सरकार वापस ले।
अब देखना यह है कि आगे इस मामले में क्या कुछ होता है और सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला क्या होगा। फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश से केंद्र सरकार को राहत मिल गई है, लेकिन संपत्तियों की स्थिति और नियुक्तियों पर रोक लग गई है।
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