Johar live desk: आजकल हर बच्चे के हाथ में मोबाइल फोन होता है। बच्चे कई कई घंटों तक मोबाइल के स्क्रीन पर अपनी नज़रें गड़ाए रहते हैं। वहीं, आजकल स्कूल में भी कुछ ऐसे प्रोजेक्ट दिए जाते हैं जिसके लिए उन्हें मोबाइल या लैपटॉप का घंटों तक इस्तेमाल करना पड़ता है। बता दें, मोबाइल से निकलने वाली स्क्रीन की नीली रोशनी उनकी आंखों के लिए बेहद खतरनाक है। इस वजह से उन्हें आंखों से जुड़ी कई परेशानियां हो सकती हैं। आज हम आपको बताएंगे कि मोबाइल की नीली स्क्रीन कितनी खतरनाक है। ऐसे में चलिए जानते हैं बच्चों की आंखों को डिजिटल स्क्रीन स्ट्रेन से कैसे बचाएं?
हो सकती हैं आंखों से जुड़ी ये परेशानियां:
आंखों का तनाव: आंखों का तनाव जिसे एस्थेनोपिया कहा जाता है। इस वजह से नज़र कमजोर होने लगती है। एस्थेनोपिया की समस्या स्क्रीन पर लंबे समय तक देखने की वजह से होता है।
आंखों में दर्द: स्क्रीन की चमक आँखों पर और बहुत ज़्यादा दबाव डालती है। आंखों की थकान से पीड़ित बच्चों को सिरदर्द, आंखों में दर्द या थकान महसूस होने की शिकायत हो सकती है। सूखी आँखें और जलन: लंबे समय तक स्क्रीन का उपयोग करने के दौरान आंखें शुष्क हो सकती हैं और उनमें जलन हो सकती है। स्क्रीन पर ध्यान केंद्रित करने से व्यक्ति की पलकें बहुत कम झपकती हैं, जिससे आंखें सूखने लगती हैं।
ऐसे करें बचाव:
20-20-20 नियम करें फॉलो: अब बच्चों का स्क्रीन टाइम आप एकदम से छुड़ा नहीं सकते इसलिए उन्हें 20-20-20-20 नियम का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करें। इस नियम के अनुसार बच्चे को हर 20 मिनट में फोकस स्क्रीन पर से हटाना होता है, 20 सेकंड के लिए कम से कम 20 फीट दूर किसी चीज़ पर ध्यान केंद्रित करना होता है और 20 बार पलकें झपकाना होता है। इससे आंखों को आराम मिलता है।
दूर से देखें स्क्रीन: स्क्रीन जितनी छोटी और करीब होगी, बच्चे की आंखों को उस पर ध्यान केंद्रित करने में उतनी ही अधिक मेहनत करनी होगी। यदि संभव हो, तो अपने बच्चे को छोटी फोन स्क्रीन के बजाय बड़ी टीवी देखने दें या फिर डेस्कटॉप या कंप्यूटर पर काम करने के लिए प्रोत्साहित करें।
आंखों की नियमित जांच कराएं: अपने बच्चे के आंखों का ख्याल रखने के लिए नियमित रूप से चेकर कराएं। उनकी आंखों को ठंडे पानी से धोएं। आंखों की एक्सरसाइज़ कराएं। साथ ही जितनी जल्दी हो सके उनका स्क्रीन टाइम कम कराएं।
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