Ranchi : झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के 13वें दिन आज यानि बुधवार को गोड्डा में अडाणी पावर प्लांट के लिए दी गई जमीन को लेकर सदन में जोरदार बहस हुई। सरकार ने इस मुद्दे को गंभीर मानते हुए जांच कराने का आश्वासन दिया। मंत्री दीपक बिरूआ ने कहा कि एसपीटी अधिनियम के तहत जमीन बिक्री योग्य नहीं है। इस मामले की जांच के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की जाएगी, जो एसपीटी और एनर्जी पॉलिसी के उल्लंघन की समीक्षा करेगी।
नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल ने कहा कि इसकी जांच के लिए कमिश्नर की अध्यक्षता में छह सदस्यीय कमेटी बनाई गई है, जिसमें उपसमाहर्ता रैंक के अफसरों को शामिल किया गया है। कमेटी में कानून के जानकार के साथ जनप्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाना चाहिए।
इस पर कांग्रेस के विधायक प्रदीप यादव ने तंज कसते हुए कहा कि हम समझे थे कि कुर्ता बदल गया तो कहीं टोन भी बदल गया होगा, लेकिन आपका टोन नहीं बदला। प्रदीप यादव ने सरकार से पूछा कि क्या भू अर्जन में शर्तों का उल्लंघन हुआ है। क्या अडाणी को लाभ पहुंचाया गया है। एसपीटी का उल्लंघन हुआ है। या एनर्जी पॉलिसी का उल्लंघन हुआ है। इस पर सरकार को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
प्रदीप यादव ने रघुवर सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि गोड्डा जिला एवं पौडैयाहाट अंचल में अडाणी पावर लिमिटेड झारखंड द्वारा वर्ष 2017-2018 में स्थापित किया गया। तत्कालीन राज्य सरकार एवं अधीनस्थ पदाधिकारियों ने कंपनी के प्रभाव में आकर भूमि अधिग्रहण कानून-2013 और अन्य कानूनी प्रावधानों काे दरकिनार किया। उन्होंने दावा किया कि जमीन की कीमत रातों-रात 46 लाख रुपये प्रति एकड़ से घटाकर पहले 3.25 लाख रुपये और फिर 12.5 लाख रुपये प्रति एकड़ कर दी गई।
विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि झारखंड राज्य ऊर्जा नीति-2012 के शर्त थी कि “राज्य के पावर प्लांट को 25 प्रतिशत बिजली में प्राथमिकता से राज्य को देना अनिवार्य है” को दरकिनार कर पूरी बिजली बांग्लादेश को देने का एकरारनामा किया गया।
एसपीटी एक्ट के प्रावधान के प्रतिकूल निजी कंपनी को जमीन अधिग्रहित कर दिया गया। जबकि एसपीटी पब्लिक परपरस के लिए जमीन अधिग्रहण की अनुमति देती है।
विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि कंपनी जिला प्रशासन एवं रैयतों के बीच हुए एग्रीमेंट के मुताबिक, स्थानीय लोगों के प्रशिक्षित कर अडाणी पावर लिमिटेड में नौकरी देना था। अस्पताल एवं स्कूल की सुविधा भी देना था, लेकिन इसका भी अनुपालन नहीं किया गया।
प्रदीप यादव ने कहा कि वन-भूमि का अधिग्रहण कर, गोचर एवं श्मसान घाट की जमीन अधिग्रहन कर संयत्र को स्थापित किया गया, लेकिन आज तक बदले में न तो उस क्षेत्र को वन-भूमि, गोचर एवं श्मसान घाट के जमीन का मिलना एसपीटी के प्रावधानों के विपरीत काम किया गया।
उन्होंने कहा कि ग्राम माली-गंगटा जाने वाली पक्की सड़क एवं सिंचाई नहर की जमीन बिना समुचित मुआवजे एवं बिना सड़क निर्माण एवं नहर निर्माण का देना कई ऐसे कामों एवं निर्णयों का तत्कालीन सरकार एवं स्थानीय सरकार यानी जिला प्रशासन द्वारा लिया गया है जो राज्य के प्रावधानित कानूनों के प्रतिकूल है। सरकार उच्चस्तरीय टीम बनाकर इसकी समीक्षा कर दोषियों पर समुचित दंडात्मक कार्रवाई करे।
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