Patna : पटना के प्रसिद्ध पटन देवी मंदिर की स्थिति इन दिनों चिंताजनक है. गर्भगृह के चारों ओर जमीन धंस रही है, और निर्माण कार्य में हुई लापरवाही के कारण दीवारों में दरारें भी आ गई हैं. इस मामले पर प्रशासनिक अधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. मंदिर प्रबंधन समिति के अनुसार, 2019 में CM नीतीश कुमार ने मंदिर के नए स्वरूप के लिए करीब 8 करोड़ रुपये का फंड जारी किया था. इस फंड से गर्भगृह के अलावा मुख्य प्रवेश द्वार, गुंबज, और सामुदायिक भवन का निर्माण होना था. लेकिन निर्माण कार्य 2023 तक पूरा नहीं हो सका. अब तक यह कार्य पूरा नहीं हो पाया और पिछले 6 महीने से निर्माण कार्य रुका हुआ है.
पानी रिसाव और कमजोर नींव से बढ़ी समस्याएं
निर्माण स्थल के आसपास पानी का रिसाव हो रहा है. जिसके कारण आसपास की जमीन धंसने लगी है. पानी जमा होने से स्थिति और बिगड़ गई है. महंत विजय शंकर गिरी ने कहा कि मंदिर के निर्माण में बेस को मजबूत नहीं किया गया, जिसके कारण पानी जमने लगा और दीवारों में दरारें आ गई हैं. इसे सुरक्षित करने के लिए मंदिर के पीछे लोहे के गार्टर लगाकर सपोर्ट दिया गया है. मंदिर की नींव कमजोर पाई गई है, और इसे मजबूत करने की जरूरत है. अगर इसे समय रहते ठीक नहीं किया गया तो खतरा हो सकता है. मंदिर के मुख्य गर्भगृह का गुंबज 63 फीट ऊंचा बनाने का प्रस्ताव है, जबकि वर्तमान में यह 45 फीट के आसपास है. राजस्थान समेत अन्य राज्यों से कारीगर बुलाए गए हैं, और संगमरमर से मंदिर को सजाया जा रहा है.
नवरात्र के समय हर साल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यहां पूजा करने आते हैं, और मंदिर की स्थिति पर सरकार से समाधान की उम्मीद की जा रही है. मंदिर प्रबंधन कमेटी के अनुसार, 6 महीने पहले अधिकारियों ने मंदिर का निरीक्षण किया था, जिसके बाद निर्माण कार्य पर रोक लगा दी गई थी. इंजीनियरों के सुझाव के बाद ही काम फिर से शुरू हो सकता है. पटना सिटी के अनुमंडल पदाधिकारी सत्यम सहाय ने बताया कि तकनीकी खामियां हैं, जिन्हें जल्द ठीक कर लिया जाएगा. इंजीनियर ओम प्रकाश त्यागी ने भी कहा कि काम जल्द शुरू किया जाएगा. पटन देवी मंदिर भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है, और यहां हर साल लाखों श्रद्धालु नवरात्रि के दौरान दर्शन के लिए आते हैं.
पटन देवी मंदिर का इतिहास और महत्व :
यह मंदिर भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है, और मान्यता है कि यहां माता पार्वती की दाहिनी जांघ गिरी थी. नवरात्र के दौरान यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है. इस मंदिर का ऐतिहासिक महत्व भी है, क्योंकि 1912 में पटना का नाम राजधानी के तौर पर पाटलिपुत्र से बदलकर पटना रखा गया था, और यह नाम पटन देवी मंदिर के कारण पड़ा. पटन देवी मंदिर को “रक्षिका भगवती पटनेश्वरी” के नाम से भी जाना जाता है, और यह पटना शहर की रक्षा करने का काम करता है. यहां महाकाली, महालक्ष्मी और मां सरस्वती की प्रतिमाएं स्थापित हैं, और यह मंदिर लोगों की मनोकामनाएं पूरी करने के लिए प्रसिद्ध है, खासकर नए शादीशुदा जोड़ों के लिए.
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