Ranchi : खेती-किसानी और कृषि अपने आप में एक बहुत बड़ा क्षेत्र है। झारखंड जैसे राज्य के लिए एग्रीकल्चर एक महत्वपूर्ण विषय है। झारखंड की 80% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है, ये लोग खेती-बाड़ी के माध्यम से ही अपना जीवन यापन करते हैं। वर्तमान समय में कृषि के क्षेत्र में आधुनिक तकनीक की बड़ी भूमिका है। राज्य में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के स्थापित हुए लगभग 45 वर्ष हो चुके हैं। यह विश्वविद्यालय राज्य में किसानों के उत्थान के लिए अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहा है। इस संस्थान द्वारा बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं को कृषि विज्ञान के क्षेत्र में काबिल बनाया जा रहा है। बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से डिग्री प्राप्त कर कई छात्र-छात्राओं ने देश और दुनिया में आज किसानों को बेहतर मार्गदर्शन दे रहे हैं। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में एग्रीकल्चर, हॉर्टिकल्चर, फॉरेस्ट एवं रिसर्च के क्षेत्र में समावेशी शिक्षा प्रदान की जा रही है। ये बातें झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आज बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची परिसर में आयोजित तीन दिवसीय “एग्रोटेक किसान मेला-2025 के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कही।
कृषि कार्य की आधुनिक तकनीक अपनाने की आवश्यकता
CM ने कहा कि झारखंड पठारी क्षेत्र में बसा हुआ राज्य है। वैसे तो प्रत्येक राज्य में खेती-बाड़ी के अलग-अलग पैमाने होते हैं, कहीं सिंचाई हेतु पानी की उपलब्धता है तो कहीं व्यवस्थाओं के बल पर सिंचाई कार्य हेतु पानी पहुंचाया जा रहा है। किसान वर्ग को अन्नदाता कहा जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किसानों को अपग्रेड करने की दिशा में कई गतिविधियां की जा रही है, किसानों के सर्वांगीण विकास के लिए अभी और कार्य करने बाकी हैं। बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी एवं राज्य सरकार एक बेहतर समन्वय बनाते हुए किसानों को बेहतर दिशा देने का कार्य करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान समय में परंपरागत व्यवस्थाओं के साथ-साथ कृषि-खेती कार्य को आधुनिक तकनीक से भी जोड़ने की आवश्यकता है। कभी-कभी बदलते मौसम के कारण किसान वर्ग के लोग हतोत्साहित होते जाते हैं , तकनीक के माध्यम से ही उन्हें इन समस्याओं से बचाया जा सकता है।
पाइपलाइन के माध्यम से खेतों पर पहुंचाई जाएगी पानी
CM हेमंत ने कहा कि राज्य सरकार किसानों के हित के लिए कई योजनाओं को संचालित कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं खेती-कृषि परिवार से ही आता हूं। पहले हमारे गांव में गन्ने की खेती होती थी, हम लोगों ने खेतों में उगाए गए गन्ने से गुड़ बनते हुए देखा है, लेकिन अब गन्ने की खेती नहीं के बराबर हो रही है इसके कई कारण हो सकते हैं। बहुत किसान ऐसे भी हैं जिन्होंने अपने खेतों पर से कृषि करना छोड़ दिया है। हमारे राज्य में खेती करने योग्य जमीन की कमी है, राज्य में खेती योग्य भूमि को बढ़ाने की दिशा में कार्य करने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार अब कई जगहों पर पाइप लाइन के जरिए खेतों तक पानी पहुंचाने का कार्य कर रही है। राज्य सरकार लिफ्ट इरीगेशन की दिशा में आगे बढ़ रही है।
किसानों के उत्थान के लिए बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी एवं राज्य सरकार का समन्वय महत्वपूर्ण
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कृषि के क्षेत्र में सकारात्मक विकास के लिए बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी एवं राज्य सरकार को साथ चलकर कार्य करने की जरूरत है। कृषि क्षेत्र के विकास के लिए एक बेहतर और मजबूत कार्य योजना बनाई जाएगी। किसान वर्ग के लोग अधिक से अधिक पैदावार कर सकें और उन्हें बाजार भी उपलब्ध कराया जा सके ऐसी व्यवस्था बनाने की जरूरत है, इन सभी चीजों पर विचार-विमर्श करते हुए एक बेहतर पॉलिसी बनाने को लेकर राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय से यहां के कृषकों को क्या लाभ मिल रहा है, आने वाले समय में और क्या लाभ दिया जा सकेगा इस निमित्त ब्लूप्रिंट बनाई जाए।
सिंचाई कार्य हेतु कुआं निर्माण योजना का मिलेगा लाभ
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कृषकों के खेतों तक सिंचाई के लिए पानी, समय पर किसानों के बीच बीज खाद का वितरण इन सभी चीजों पर विशेष बल दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि सभी जिलों में किसान पाठशाला स्थापित की जाएगी, जहां किसान भाई बंधु खेती की आधुनिक तकनीक, पशुपालन, मछली पालन सहित अन्य महत्वपूर्ण गतिविधियों की जानकारी एवं प्रशिक्षण लेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि झारखंड के किसान वर्गों के लोगों को एक लाख से अधिक कुआं निर्माण योजना का लाभ मिलेगा। नदी तालाब तथा कुआं सिंचाई के पारंपरिक साधन है। बोरिंग कभी-कभी फेल भी हो जाता है, इसीलिए राज्य सरकार द्वारा कुआं निर्माण योजना लाई जा रही है।
महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा करना उद्देश्य
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार झारखंड में महिलाओं को मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के तहत ढाई हजार रुपए प्रतिमाह सहयोग राशि प्रदान कर रही है। यह राशि यहां की महिलाओं को आत्मनिर्भर बन रहा है। इस राशि के जरिए राज्य में महिला किसान दीदियां पशुधन के माध्यम से आत्मनिर्भर बन सकती हैं। किसान महिलाएं गाय पालन, बकरी पालन, मुर्गी पालन, शूकर पालन, फूल की खेती सहित अन्य गतिविधियों के माध्यम से आय का स्रोत ढूंढ सकेंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड देश का पहला ऐसा राज्य है जो महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा करने की दिशा में सकारात्मक कार्य कर रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की सोच है कि कैसे यहां के किसान खेती-कृषि के माध्यम से कृषक उद्यमी के तौर पर उभरे इस निमित्त योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छोटे-छोटे घरेलू प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर आप व्यवसाय कर सकते हैं। किसानों का मेहनत कभी बेकार नहीं जाता है बस जरूरत है उन्हें एक बेहतर मार्गदर्शन मिले।
बिरसा कृषि मार्गदर्शिका-2025 पुस्तक का विमोचन..
इस अवसर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग की मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की एवं अन्य गणमान्य अतिथियों द्वारा बिरसा कृषि मार्गदर्शिका-2025 पुस्तक का विमोचन किया गया। मौके पर मुख्यमंत्री एवं अन्य अतिथियों ने एग्रोटेक किसान मेला में लगे स्टॉल का परिभ्रमण कर उद्देश्यों की जानकारी ली। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय परिसर में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अंतर्गत प्रशिक्षण हॉल एवं वन औषधि द्रव्य प्रदर्शनी दीर्घा का शिलान्यास किया।
मौके पर मंत्री, कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग शिल्पी नेहा तिर्की, कुलपति, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय रांची डॉ० सुनील चंद्र दुबे, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार, निदेशक, भारतीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान, रांची डॉ० सुजय रक्षित, निदेशक, प्रसार शिक्षा बिरसा कृषि विश्वविद्यालय डॉ० जगरनाथ उरांव सहित अन्य वरीय पदाधिकारी मौजूद रहे।
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