Ranchi : वे केवल एक कुशल प्रशासिका ही नहीं, बल्कि सेवा, त्याग और परोपकार की प्रतिमूर्ति थीं। उन्होंने शिक्षा, कला, संस्कृति और धर्म के संरक्षण हेतु अनुकरणीय कार्य किए। उनकी शासन-व्यवस्था पूर्णत: प्रजा के हितों पर केंद्रित थी, जिससे समाज को नई दिशा प्रदान की। ये बातें लोकमाता अहिल्याबाई होलकर को नारी शक्ति, न्याय और जनकल्याण की अप्रतिम प्रतीक बताते हुए झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने आज राष्ट्र सेविका समिति, रांची महानगर एवं स्नातकोत्तर इतिहास विभाग, रांची विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आर्यभट्ट सभागार, रांची में आयोजित ‘लोकमाता अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी जयंती समारोह’ के अवसर पर कहीं.
मौके पर राज्यपाल ने काशी विश्वनाथ मंदिर एवं अन्य धार्मिक स्थलों के पुनर्निर्माण में लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के ऐतिहासिक योगदान का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जब हम ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘विकसित भारत’ की ओर अग्रसर हैं, तब अहिल्याबाई जैसी महान विभूतियों के योगदान से हमें नई प्रेरणा मिलती है।
राज्यपाल ने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई का जीवन न केवल प्रशासनिक दक्षता, बल्कि परोपकार और नारी सशक्तिकरण का भी सर्वोत्तम उदाहरण है। उन्होंने इस समारोह के आयोजन के लिए राष्ट्र सेविका समिति एवं रांची विश्वविद्यालय को बधाई देते हुए विश्वास प्रकट किया कि यह प्रयास लोकमाता अहिल्याबाई की प्रेरणादायी गाथा को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में सहायक सिद्ध होगा।
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