Johar Live Desk : हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. हर माह के कृष्ण एवं शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है. यह पूजा सूर्यास्त के बाद रात्रि के प्रथम पहर में करने का विधान है, इस व्रत को करने से सारे दोषों (पाप एवं कष्ट) से मुक्ति मिलती है, इसलिए इसे प्रदोष कहा जाता है. इस दिन भगवान शिव-पार्वती की पूजा की जाती है. प्रदोष व्रत रखने वालों को मृत्योपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है. प्रदोष व्रत रखने वाली सुहागिनों का सुहाग अटल होता है, माताओं को संतान की प्राप्ति होती है, एवं कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वरदान प्राप्त होता है, तथा व्रतियों को जन्म-जन्मांतर के चक्र से मुक्ति मिलती है.
बता दें कि साल में कुल 24 या 25 प्रदोष पड़ते हैं. आइये जानते हैं प्रदोष व्रत के महत्व, नियम, पूजा-विधि के बारे में, साथ ही देखें इस साल 2025 में पड़ने वाले सभी प्रदोष व्रत की पूरी सूची
प्रदोष व्रत का महत्व
हिंदू धर्म शास्त्रों में भगवान शिव को अजर, अमर एवं अविनाशी देव के रूप में परिभाषित किया गया है. हिंदू माह के हर पखवाड़े की त्रयोदशी (शुक्ल एवं कृष्ण पक्ष दोनों) को प्रदोष नाम से व्रत रखने एवं भगवान शिव-पार्वती की संयुक्त पूजा का विधान है. इस व्रत को करने से शिवधाम अर्थात मोक्ष की प्राप्ति होती है. नियमित व्रत रखने वाले जातकों एवं उनके परिजनों के सारे कष्ट नष्ट हो जाते हैं. चंद्र दोष, क्षय रोग एवं शारीरिक कष्ट दूर हो जाते हैं., हिंदू शास्त्रों में उल्लेखित है कि एक बार चंद्रदेव के शापित होने से उन्हें क्षयरोग हो गया था, उनके द्वारा प्रदोष व्रत रखने से उन्हें शिवजी का आशीर्वाद मिला, और उन्हें सारे रोगों से मुक्ति मिल गई. प्रदोष व्रत रखने वाले जातकों की कुंडली के सारे दोष दूर होते हैं. चंद्रोदय काल में यह पूजा होने से उन्हें चंद्रमा भी शुभ फल प्रदान करता है.
इन नियमों का पालन अवश्य करें
- प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव जी की पूजा का विधान है. इस दिन व्रत रखने वालों को प्रदोष व्रत के सारे नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है.
- प्रदोष व्रत शुरू करने वालों को 11, 24 अथवा सभी 25 व्रत रखने का संकल्प लेना चाहिए.
- संकल्पित संख्या तक व्रत पूरा करने के पश्चात इसका उद्यापन करना चाहिए.
- व्रत के दरमियान ब्रह्मचर्य का पालन अवश्य करना चाहिए
- प्रदोष व्रत करते हुए भगवान शिव एवं देवी पार्वती की संयुक्त पूजा करनी चाहिए.
- इस दिन घर में तामसिक अथवा मांसाहारी भोजन एवं मद्यपान का निषेध करना चाहिए.
- प्रदोष व्रत के उपवासियों को इस दिन क्रोध, ईर्ष्या, असत्य अथवा किसी का अपमान करने से बचना चाहिए.
- यह फलाहारी व्रत है, लेकिन अगर किसी ने निर्जल व्रत का मन्नत माना है तो उसे निर्जला व्रत जरूर रखना चाहिए.
इस वर्ष (2025) प्रदोष व्रतों की सूची
- 27 जनवरी 2025 सोमवार सोम प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
- 09 फरवरी 2025 रविवार रवि प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
- 25 फरवरी 2025 मंगलवार भौम प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
- 11 मार्च 2025 मंगलवार भौम प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
- 27 मार्च 2025 गुरुवार गुरु प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
- 10 अप्रैल 2025 गुरुवार गुरु प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष पक्ष)
- 25 अप्रैल 2025 शुक्रवार शुक्र प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
- 09 मई 2025 शुक्रवार शुक्र प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
- 24 मई 2025 शनिवार शनि प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
- 08 जून 2025 रविवार रवि प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
- 23 जून 2025 सोमवार सोम प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
- 08 जुलाई 2025 मंगलवार भौम प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
- 22 जुलाई 2025 मंगलवार भौम प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
- 06 अगस्त 2025 बुधवार बुध प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
- 20 अगस्त 2025 बुधवार बुध प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
- 05 सितंबर 2025 शुक्रवार शुक्र प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
- 19 सितंबर 2025 शुक्रवार शुक्र प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
- 04 अक्टूबर 2025 शनिवार शनि प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
- 18 अक्टूबर 2025 शनिवार शनि प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
- 03 नवंबर 2025 सोमवार सोम प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
- 17 नवंबर 2025 सोमवार सोम प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
- 02 दिसंबर 2025 मंगलवार भौम प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
- 17 दिसंबर 2025 बुधवार बुध प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
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