नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने शुक्रवार को अपनी मौद्रिक नीति की बैठक के बाद कुछ अहम फैसले किए, जो आम जनता के लिए निराशाजनक साबित हो सकते हैं. RBI ने लगातार 11वीं बार रेपो रेट (Repo Rate) में कोई बदलाव नहीं किया है और इसे 6.5% पर बनाए रखा है. इसका मतलब है कि कर्ज लेने वाले लोगों को अपनी ईएमआई में कोई राहत नहीं मिलेगी. RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि देश की जनता को 2025 की तीसरी तिमाही तक महंगाई से कोई बड़ी राहत मिलने की संभावना नहीं है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि साल के अंतिम क्वार्टर में महंगाई में थोड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है. गवर्नर ने खाद्य महंगाई पर चिंता जताते हुए कहा कि यह उपभोक्ताओं की खर्च योग्य आय को कम कर देती है, जिससे सामान्य खर्च और आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ता है.
RBI ने कैश रिजर्व रेश्यो में 0.5% की कटौती की
हालांकि, RBI की मौद्रिक नीति में एक सकारात्मक कदम भी उठाया गया है. RBI ने कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) में 0.5% की कटौती की है, जिससे यह 4% पर आ गया है. इस फैसले से बैंकों को ज्यादा लोन देने की सुविधा मिलेगी और उन्हें अधिक तरलता मिल सकेगी. यह कदम RBI की तटस्थ नीति को दर्शाता है, जो बैंकों के लिए आर्थिक स्थिति को मजबूत करने का संकेत देता है.
RBI की GDP ग्रोथ पर आशा
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में आशावादी रुख अपनाया और कहा कि उच्च-आवृत्ति संकेतक दर्शाते हैं कि घरेलू गतिविधियां अब अपनी निचली स्थिति से बाहर आ रही हैं. इससे यह संकेत मिलता है कि आने वाले समय में आर्थिक स्थिरता देखने को मिल सकती है.
क्या है रेपो रेट?
रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर RBI वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक अवधि के लिए धन उधार देता है. यह दर बाजार में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद करती है. जब मुद्रास्फीति नियंत्रण में नहीं होती, तो RBI रेपो रेट को बढ़ाकर बाजार में उपलब्ध धन की मात्रा को नियंत्रित करने का प्रयास करता है.
रेपो रेट में बदलाव का असर
रेपो रेट में बदलाव का सीधा असर आम आदमी पर पड़ता है. यदि रेपो रेट कम होता है, तो बैंकों द्वारा ग्राहकों को सस्ते ब्याज दर पर कर्ज दिए जाते हैं, जिसका फायदा पर्सनल लोन, होम लोन और कार लोन लेने वालों को होता है. लेकिन जब रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया जाता है, तो बैंकों की उधारी दरें वही रहती हैं और इससे ईएमआई में कोई बदलाव नहीं आता.