रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य के विश्वविद्यालयों में खाली पड़े प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों को चार महीने के भीतर भरने का आदेश दिया है. जस्टिस डॉ. एसएन पाठक की अदालत ने यह आदेश अनुबंध पर काम कर रहे शिक्षकों को हटाने के मामले की सुनवाई के दौरान दिया. कोर्ट ने राज्य सरकार, झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) और सभी विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया कि वे इस संबंध में तत्काल कदम उठाएं. अदालत ने उच्च शिक्षा सचिव, उच्च शिक्षा निदेशक और जेपीएससी को नियुक्ति प्रक्रिया में आ रही रुकावटें दो महीने के भीतर दूर करने का आदेश दिया है. इसके बाद अगले दो महीने में जेपीएससी और राज्य सरकार को विश्वविद्यालयों से प्राप्त रिक्त पदों के आधार पर विज्ञापन निकालकर नियुक्ति प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कहा गया है.
संविदा नियुक्तियों पर नाराजगी
सुनवाई के दौरान अदालत ने विश्वविद्यालयों में संविदा पर नियुक्ति को लेकर नाराजगी जताई. कोर्ट ने कहा कि संविदा आधारित नियुक्ति से बैक डोर एंट्री को बढ़ावा मिलता है और इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर नकारात्मक असर पड़ता है. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालयों में स्थायी नियुक्तियों के बिना उच्च शिक्षा का स्तर बेहतर नहीं हो सकता.
याचिकाकर्ताओं का पक्ष
यह मामला सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के पांच अनुबंधित शिक्षकों की याचिका से जुड़ा था. याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि उन्हें बिना किसी ठोस कारण के हटा दिया गया, जबकि अन्य अनुबंधित शिक्षकों को नियुक्त किया गया. विश्वविद्यालय का तर्क था कि स्थायी नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू की जा रही है, इसलिए इनकी सेवाएं समाप्त की गईं. याचिकाकर्ताओं ने इसे भेदभावपूर्ण निर्णय बताया. अदालत ने मामले की सुनवाई पूरी करते हुए साफ किया कि स्थायी नियुक्ति में कोई देरी नहीं होनी चाहिए और विश्वविद्यालयों में नियुक्ति प्रक्रिया को जल्द पूरा किया जाए.